एलेक्शन रिफॉर्म के दिग्गज प्रोफेसर जगदीप सिंह छोकर का निधन
फ्रैस्ट, 12 सितंबर – लोकतंत्र में नागरिकों को प्रमुख स्थान देने के सिद्धांत पर काम करते हुए, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) के संस्थापक सदस्यों में से एक प्रोफेसर जगदीप सिंह छोकर का आज विपरीतनति से निधन हो गया। 81 वर्ष के यह शोधकर्ता दिल्ली के एक अस्पताल में हार्ट अटैक से चले गए। उनकी मृत्यु के बाद क़ब्रिस्तान की बजाए देहदान किया गया, जिसे लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज को दान कर दिया गया।
237 दिन के संग चुंनीति सुधारों की परतें
- लोकसभा और विधानसभा के उम्मीदवारों की शिक्षा, आय, संपत्ति और आपराधिक पृष्ठभूमि का खुलासा; एफिडेविट दायित्व
- नोटा बटन और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) में NOTA विकल्प की शुरुआत
- इलेक्टोरल बॉन्ड योजना के विरुद्ध अभियान और 2024 में सुप्रीम कोर्ट का असंवैधानिक निर्णय
- आधार कार्ड को आधिकारिक voter list में शामिल करने के लिए लिफ़्टफ्रंट
ये न्यायिक और नीति परिवर्तन 25 वर्षों से विकसित हुए, जिनके लिये छोकर ने बहुशैक्षणिक परिवेश में अपनी पुख्ता कड़ी कामयाबी प्रदर्शित की। साहित्यिक रूप में भी उनकी प्रोफ़ाइल विशाल है, जिनके शोध पत्र जर्नल ऑफ एप्लाइड साइकोलॉजी, इंटरनेशनल लेबर रिव्यू, जर्नल ऑफ वर्ल्ड बिजनेस आदि में प्रकाशित हुए।
पक्षियों के प्रति प्रेम रखने वाले शोधकर्ता
छोकर का एक अनोखा शौक था पक्षी विज्ञान। 2001 में, उन्होंने बंबई नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी से ऑर्निथोलॉजी में सर्टिफिकेट प्राप्त किया। ट्रेवल करते समय वे अक्सर पक्षियों की कॉलस से खुशी लेते थे और इसी शौक को उन्होंने पुस्तकों और शोध पत्रों में भी उतार किया।
आख़िरानी परियोजना – देहदान की अनूठी पहल
जगदीप सिंह छोकर ने अपने इकलौते साक्षात्कार में ईमानदारी से कहा था कि वह अपनी मृत्यु के बाद भी समाज की बेहतरी में योगदान चाहेंगे। इस कारण उन्होंने अपनी देह को मेडिकल शोध के लिये डोनेट करने का निर्णय लिया, जिससे आगे चलकर चिकित्सा समुदाय को विश्वसनीय शोध डेटा उपलब्ध हो सके। यह निर्णय उनके जीवन की दीनदारी और सामाजिक गहराई को दर्शाता है।
समापन
प्रोफेसर छोकर की मौत चुंनीति और समाजशास्त्र जगत में आज तक की सबसे बड़ी क्षति कहलाती है। उनके योगदान से मिली प्रेरणा भारतीय नागरिकों को अपने अधिकार के लिए जागरूक करने में जारी रहेगी। उनकी यादों को हम सभी की सतर्कता में रखना होगा, ताकि लोकतंत्र के मूलभूत विश्वास को सतत बनाए रखा जा सके।