दक्षिण भारत की राय बुखार भड़कते हुए केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग पर 24 सितम्बर को हुए आंदोलन और पुलिस झड़प में 4 लोग मारे गए और 60 से अधिक घायल हो गए। रात के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हिंसा के लिये घोषणा की कि मुख्य प्रेरक शक्ति, अभिव्यक्ति के सुप्रसिद्ध शैक्षणिक कार्यकर्ता और नागरिक नेता, सोनम वांगचुक, को जिम्मेदार ठहराया गया। मंत्रालय ने बताया कि वांगचुक ने ‘अरब स्प्रिंग’ एवं ‘Gen Z’ के उदाहरण देकर भीड़ को प्रेरित किया।
सोनम वांगचुक‑जी का शैक्षणिक पथ
- जन्म 1966, लेह जिले के अल्ची के पास।
- 9 वर्ष उम्र तक स्कूल नहीं, माँ द्वारा मूल शिक्षा दी।
- श्रीनगर और फिर दिल्ली के केंद्रीय स्कूल में शिक्षा।
- NC IT, श्रीनगर से BTech (मैकेनिकल इंजीनियरिंग)।
- सहपाठी एवं भाई के साथ मिलकर 1988 में SECMOL (Students Educational and Cultural Movement of Ladakh) की स्थापना। उद्देश्य: लद्दाख के सरकारी विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था में सुधार। उन्होंने सासपोल हाई स्कूल में शिक्षा सुधार कार्यक्रम चलाया और 1994 से ऑपरेशन न्यू होप के तहत स्थानीय पाठ्यपुस्तकें, शिक्षक प्रशिक्षण व गांव‑स्तर शिक्षा समितियों की शुरूआत की।
- 1993 से ‘लद्दाख्स मेलोंग’ प्रिंट मैगज़ीन का पत्रकारिता कार्य, 2005 तक एडिटर।
- 2002 में लद्दाख वॉलंटरी नेटवर्क (LVN) की स्थापना और 2005 तक एग्जीक्यूटिव कमेटी में सचिव।
- 2004 में लद्दाख हिल काउंसिल की विज़न डॉक्यूमेंट लद्दाख 2025 का मसौदा तैयार किया, जिसे 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा आधिकारिक रूप से लॉन्च किया गया।
- 2013 में आइस स्टूप प्रोजेक्ट की शुरुआत, वर्ष 2014 तक दो‑मंज़िला prototype तैयार, 1.5 लाख लीटर पानी संग्रहीत करने योग्य। इस प्रौद्योगिकी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली।
- 2016 में हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स लद्दाख (HIAL) की स्थापना, जो युवाओं को शिक्षा, संस्कृति और पर्यावरणीय समस्याओं पर प्रशिक्षण देती है।
पूर्ण राज्य दर्जे के लिए उठाये गये कदम
10 सितम्बर को वांगचुक और समर्थकों ने भूख हड़ताल पर चढ़कर लद्दाख को पूर्ण राज्य और छठी अनुसूची की मांग की। 23 सितम्बर को इस दौरान दो प्रदर्शनकारी बेहोश हो गए, जिससे हड़ताल जारी रखने के बारे में सवाल उठे। तत्पश्चात युवा शाखा ने बंद का आह्वान किया, जिसे कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस और अन्य संगठनों ने समर्थन किया। बंद के बाद लेह में हिंसा में वृद्धि हुई, जिससे दुखद मृत्यु और घायल होने की घातक स्थिति उत्पन्न हुई।
केंद्रीय प्रतिक्रिया एवं अपील
सार्वजनिक सुरक्षा और मानव जीवन की रक्षा के लिए, केंद्रीय सरकार ने आपातकालीन कार्रवाई की, साथ ही वांगचुक ने 15‑दिन के उपवास को तोड़ते हुए शांति और अहिंसा की अपील की। उनके बयान के अनुसार, यह हड़ताल स्थिति को और बिगाड़ने के बजाय शांतिपूर्ण संवाद तक पहुंचने के उद्देश्य से थी।
इस घटना ने लद्दाख के राजनीतिक, सामाजिक और मानव अधिकारों के संघर्ष को एक नई जटिलता के साथ प्रस्तुत किया है, तथा घरेलू और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए यह एक गंभीर परामर्श का विषय बन गया है।