एसएससी ने परीक्षा पेपर पर चर्चा पर रोक लगाई; 1 करोड़ तक जुर्माना व 10 वर्ष कैद का प्रावधान
सेंट्रल स्टाफ़ सिलेक्शन कमिशन (एसएससी) ने इस महीने एक नोटिस जारी किया है जिसमें छात्रों, कंटेंट क्रिएटर्स और सोशल‑मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स को अपने द्वारा साझा किए जाने वाले पिछले एसएससी परीक्षा पेपर्स के किसी भी प्रकार का विश्लेषण, चर्चा या प्रसार करने से रोका गया है। नोटिस के अनुसार, इस निर्देश का उल्लंघन करने पर सबसे ख़त्म दंड 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना तथा 10 वर्ष तक की कैद हो सकती है।
नोटिस में विशेष रूप से लिखा है कि “सभी कंटेंट क्रिएटर्स, सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स और शिक्षकों को सूचित किया जाता है कि वे किसी भी एसएससी परीक्षा के प्रश्न पत्र का चर्चा, विश्लेषण या प्रचार न करें। इसके उल्लंघन पर पब्लिक एक्ज़ाम एंगेजमेंट एक्ट, 2024 (PEA अधिनियम) के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
एसएससी का कहना है कि कई प्लेटफ़ॉर्म्स पर जारी या अब बंद हो चुके परीक्षा पेपर्स का चर्चा और विश्लेषण चल रहा है, जिससे परीक्षा की शुद्धता और अखंडता متاثر हो रही है। “इसके चलते स्वयं‑अध्ययन करने वाले छात्रों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है” यह कहा गया।
शिक्षकों की आलोचना: छात्र तैयारी पर प्रतिकूल असर
दिल्ली में एसएससी की तइनीर तैयार कराराहु शिक्षकों के बीच बहुत चर्चा हो रही है। शिक्षक प्रभंजन भदौरिया ने नोटिस के निर्णय को “पूरी तरह गलत” बताया। उन्होंने यह भी खुलासा किया कि “90% परीक्षा का पैटर्न पिछले परीक्षा पेपर्स पर आधारित होता है, जबकि केवल 10% नया जोड़ होता है। इसलिए छात्रों को पुराने पेपर्स पढ़ना अत्यावश्यक है।” भदौरिया का मानना है कि एसएससी को पेपर लीक रोकने के लिए वैकल्पिक उपाय अपनाने चाहिए ताकि छात्र तैयारी पर प्रतिकूल असर न पड़े।
दंड की रूपरेखा
- व्यक्तिगत अपराधियों पर 3 से 5 वर्ष की कैद तथा 10 लाख रुपये का जुर्माना।
- संस्थानों पर 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना, तथा भविष्य की परीक्षाओं में भाग लेने के अधिकार का निलंबन।
- संगठित अपराध मामलों में 5 से 10 वर्ष की कैद और 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना।
इन दंडों के तहत, किसी भी प्रकार का अवैध वितरण या प्रचार पूरी तरह से प्रतिबंधित है, और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ तत्काल कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
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