भारत में 3 अक्टूबर को सोने और चांदी के दाम में हल्की गिरावट दर्ज की गई।
इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) के डेटा के अनुसार, 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 500 रुपए घटकर ₹1,16,833 पर पहुंची।
वहीं चांदी की कीमत में भी 110 रुपए की गिरावट देखी गई, और दर ₹1,45,010 प्रति किलोग्राम पर रही।
यह गिरावट विशेष रूप से प्रभावशाली है क्योंकि 1 अक्टूबर को ही सोने ने ₹1,17,332 और चांदी ने ₹1,45,120 की ऑल‑टाइम हाई बनाई थी।
इस वर्ष की शुरुआत से सोना और चांदी की कीमतें क्रमशः ₹40,671 और ₹58,993 से बढ़कर लगभग ₹1.55 लाख तक पहुंचने की संभावना जताई जा रही है। गोल्डमैन सैक्स की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, बैंक ने अगले साल तक सोने के लिए $5,000 प्रति औंस का लक्ष्य रखा है। वर्तमान विनिमय दर का हिसाब लगाने पर यह लगभग ₹1,55,000 प्रति 10 ग्राम के बराबर होगा।
ब्रोकरेज फर्म P.L. Capital की निदेशक संदीप रायचुरा ने कहा कि सोने की कीमतें ₹1,44,000 प्रति 10 ग्राम तक पहुंच सकती हैं।
सोने में तेजी के पांच मुख्य कारण
- केंद्रीय बैंकों की बढ़ती खरीदारी: वैश्विक स्तर पर बड़े बैंक अपनी डॉलर निर्भरता घटाने के इरादे से सोना स्टॉक बढ़ा रहे हैं। इससे लगातार मांग बनी रहती है और कीमतें ऊपर जाती हैं।
- अमेरिकी नीतिगत अस्थिरता (ट्रम्प फैक्टर): फेडरल रिजर्व पर हस्तक्षेप और डॉलर‑बॉन्ड बाजार की अनिश्चितता से निवेशक सुरक्षित निवेश के रूप में सोना चुनते हैं, जिससे कीमत में वृद्धि होती है।
- क्रिप्टो के उतार-चढ़ाव से बचाव: कठोर नियमों और अस्थिरता के कारण निवेशक अपने धन को सोने की ओर मोड़ रहे हैं। साथ ही, शेयर बाजार से कम रिटर्न भी सोने की मांग बढ़ा रहा है।
- डीडॉलराइजेशन की दिशा: कई देश डॉलर के उपयोग को कम करके अपने आर्थिक मॉडल को पुनः परिभाषित कर रहे हैं। डॉलर के कमजोर होने से सोने की मांग में वृद्धि होती है।
- दीर्घकालिक परिसंपत्ति के रूप में सोना: सोना नष्ट नहीं होता, सीमित मात्रा में रहता है और महंगाई के दौर में अपनी कीमत को बरकरार रखता है। इसलिए इसे लंबे समय तक रखना लाभप्रद माना जाता है।