बिहार चुनाव में नई विवाद: संतोष लाड, प्रशांत किशोर की आलोचनाएँ
बिहार 2025 विधानसभा चुनाव में एनडीए की भारी जीत से एक ओर भाजपा के आँकड़े बिगड़ते दिखे, जबकि महागठबंधन को हार का सामना करना पड़ा। विपक्ष ने इस हार के दबाव को मोदी सरकार पर डालते हुए, अपने प्रमुख योजनाएँ और नेतृत्व की आलोचना की। इसके बीच, कर्नाटक के मंत्री संतोष लाड ने बीदर में अपने बयान के साथ विवाद को गहरा किया।
संतोष लाड का कहना है कि बिहार में 65,00,000 वैध वोटों को “सिसर” के रूप में डिलीट कर दिया गया, जिससे बीजेपी को बढ़त मिली। उन्होंने आगे बताया कि “नरेंद्र मोदी” के तहत महिला मतदाताओं को 10,000 रुपये की नकद राशि दिये जाने का दावा किया, और इस कदम के पीछे स्पष्ट उद्देश्य पूछे।
इसके अलावा, उन्होंने “कांग्रेस नेता” की भूमिका पर सवाल उठाया, अपने पक्ष से की गयी आलोचना के दौरान, प्रशांत किशोर के कथित बयान को उठाया। किशोर के अनुसार, 14,000 करोड़ रुपये के विकास निधि में से 15,000 करोड़ रुपये के हिस्से को बिहार की महिलाओं को दिया गया, जिससे ‘चुनाव में हार’ के मूल कारण स्पष्ट हुए।
जन सुराज की भूमिका और सीटों का आँकड़ा
जन सुराज पार्टी ने बिहार में 238 सीटों पर प्रतिस्पर्धा की और 236 सीटों पर नतीजे पार्क किये। हालाँकि, कई सीटों में प्रतियोगिता ने नयी ऊर्जा दिये। निकट 35 सीटों में जन सुराज द्वारा मिले वोट, जीत के अंतर से अधिक रहे, जहाँ एनडीए ने 19 सीटें और महागठबंधन ने 14 सीटें लीं। इसके अतिरिक्त, AIMIM व BSP को एक-एक सीट की जीत मिली।
- जन सुराज ने 115 सीटों पर तीसरे स्थान पर रही।
- एक मढ़ौरा सीट पर राजद के जितेंद्र कुमार राय को 86,118 वोट मिले, जबकि जन सुराज के नवीन कुमार सिंह(अभय सिंह) को 58,190 वोट।
- दोनों उम्मीदवारों के बीच अंतर 27,928 वोट रहा।
समीक्षा और आगे का मार्ग
बिहार चुनाव के बाद की यह बहस दिखाती है कि कैसे मतदारों के सुझाव, निर्वाचन आयोग के निर्णय और राजनेताओं के आरोप तर्क चुनावी परिदृश्य को नया रूप देते हैं। अब सभी ध्यान केन्द्रित है की आगे की रणनीति कैसे रखी जाये, ताकि नागरिकों का विश्वास और निर्णय संभावित हो सके।
इस बीच, अन्य राष्ट्रों के हिस्सों में चल रही खबरें भी सार्वजनिक रुचि के केंद्र में हैं। मतदाता आम तौर पर याद रखे कि सत्ता में चल रहे लोगों की नीतियों और कार्यों पर फिर से विचार अपरिहार्य बना हुआ है।