रिटेल महंगाई दर अगस्त में 2.7 % पर पहुंची, जो जुलाई के 1.61 % से थोड़ी बढ़ी है। इस बढ़ोत्तरी का मुख्य कारण खाने‑पीने की वस्तुओं की कीमतों में हल्की उठान है।
अधिकारिक आंकड़े और RBI का लक्ष्य
भारत सरकार ने 12 सितंबर को जारी किए गए CPI रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त के लिए महंगाई 2.7 % रही। रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) का लक्ष्य महंगाई को 4 % ± 2 % के भीतर रखना है, जिसे ये लगातार मॉनीटरी पॉलिसी कमेटी में समायोजित करता रहता है।
RBI का हालिया बारीकी से जाँच
- 4 से 6 अगस्त की RBI MPC बैठक में, जनवरी‑अक्टूबर में 2025‑26 वित्त वर्ष के लिए महंगाई अनुमान 3.7 % से घटाकर 3.1 % कर दिया गया।
- यह समायोजन बाज़ार की स्थिति और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को ध्यान में रखकर किया गया।
महंगाई के उतार‑चढ़ाव की तंत्र
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के माध्यम से पता चलता है कि कैसे माँग और आपूर्ति महंगाई को प्रभावित करती है। जब लोग पैसे के अधिक प्रवाह के कारण अधिक सामान खरीदते हैं, तो माँग बढ़ती है और यदि आपूर्ति उसी अनुपात में न बढ़े तो कीमतें बढ़ जाती हैं। इसके विपरीत, माँग में गिरावट या आपूर्ति में बढ़ोतरी होने पर महंगाई कम होनी चाहिए।
कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) की भूमिका
ग्राहक के नजरिये से, CPI वह सूचक है जो रोज़मर्रा के सामान और सेवाओं के औसत दाम को मापता है। यह सूचक हमें बताता है कि किसी भी समय हम कितनी कीमतों पर मोलभाव कर रहे हैं, और यह भी दर्शाता है कि महंगाई हमारे लिए कैसी प्रतीत होती है।