बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणाम में एनडीए ने जबरदस्त जीत दर्ज करते हुए राज्य की राजनीति में नई दिशा तय की। वहीं, एक चिंताजनक बदलाव सामने आया है – मुस्लिम विधायक की संख्या घटकर केवल 10 रह गई, जो पिछले 35 वर्षों में सबसे कम है। यह आंकड़ा बिहार के लगभग 17.7 % मुस्लिम आबादी के बावजूद राजनीतिक प्रतिनिधित्व में गहरी असमानता को उजागर करता है।
मुस्लिम प्रतिनिधित्व में गिरावट के पीछे के कारण
इस चुनाव में महाकॉश और एनडीए दोनों ने मुस्लिम चेहरे पर कम भरोसा जताया। कई प्रमुख सीटों पर पारंपरिक मुस्लिम मतदाता आधार को प्रभावित करते हुए, दलों ने गैर-मुस्लिम उम्मीदवारों को उतारा। AIMIM को महाकॉश में शामिल नहीं किया गया, जिसके बाद इस पार्टी ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया। इन सब कारणों से मुस्लिम समुदाय का वादे पर कमी आई और सीटों की संख्या ऐतिहासिक स्तर पर घट गई।
AIMIM का सीमांचल में फिर से उजागर हुआ प्रदर्शन
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने 25 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और उनमें से 5 पर जीत हासिल की। जीतें अमौर, कोचाधामन, जोकीहाट, बहादुरगंज और बायसी पर दर्ज हुईं, जिनकी मुस्लिम आबादी अधिक है। सीमांचल के चार जिलों – अररिया, पूर्णिया, कटिहार और किशनगंज में पार्टी का प्रभाव और भी स्पष्ट हुआ।
JDU के मुस्लिम उम्मीदवारों का परिचय
जेडीयू ने इस चुनाव में चार मुस्लिम उम्मीदवार नामांकित किए। उनमें से मोहम्मद ज़मा खान ने चैनपुर सीट पर सबसे आगे रहा। चैनपुर मुस्लिम बहुल क्षेत्र नहीं है, इसलिए भाजपा व जेडीयू ने हिंदू मतदाताओं को एक साथ लाने के लिए अभियान चलाया। 2020 में जेडीयू ने 11 मुस्लिम चेहरे को टिकट दिया था, पर उस चुनाव में जीत नहीं मिली थी। इस बार उम्मीदवारों की संख्या कम करने के बाद पार्टी एक सीट जीतने में सफल रही।
LJP (RV) का एकमात्र मुस्लिम चेहरा
चिराग पासवान की पार्टी LJP ने बहादुरगंज से मोहम्मद कलीमुद्दीन को टिकट दिया। वे मुकाबले में टिके रहे, पर तीसरे स्थान पर रह गए। इस सीट पर AIMIM के तौसीफ आलम ने आरामदायक जीत दर्ज की, जबकि कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही।
RJD को मिली दो मुस्लिम सीटें
राष्ट्रजनता दल ने मुस्लिम उम्मीदवारों को सीमित टिकट दिए, पर जिन दो सीटों पर अवसर मिला, वहाँ पार्टी ने जीत हासिल की। बिस्फी से आसिफ अहमद विजयी रहे, जबकि रघुनाथपुर में शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा साहब ने जीत दर्ज कर परिवार की 21 साल बाद राजनीतिक वापसी कराई। इस बार RJD ने टिकट वितरण में नया संतुलन अपनाया, जिससे यादव, मुस्लिम, ईबीसी, दलित और सवर्ण समुदायों के बीच तालमेल की कोशिश साफ दिखी।
सीमांचल में कांग्रेस की मिश्रित स्थिति
कांग्रेस ने सीमांचल में 2020 जैसी उपस्थिति बनाए रखी। किशनगंज से मोहम्मद कमरुल होडा और अररिया से अबीदुर रहमान ने जीत हासिल की। हालांकि बड़ी उलटफेर तब आई जब कांग्रेस विधायक शकील अहमद खान नाथनगर में जेडीयू उम्मीदवार दुलाल चंद्र गोस्वामी से हार गए।
1990 के बाद सबसे कम मुस्लिम विधायक
यदि हम बिहार में मुस्लिम प्रतिनिधित्व के पिछले आंकड़ों को देखें, तो 2025 का परिणाम बारीकी से गिरावट दर्शाता है। 2010 में 19 मुस्लिम विधायक रहे, 2015 में संख्या 24 तक बढ़ गई, 2020 में फिर 19 पर लौट आया, और 2025 में यह आंकड़ा केवल 10 रह गया। यह सदन के लगभग 4.1 % हिस्से के बराबर है, जबकि आबादी लगभग 17.7 % है।