नीतीश कुमार: 1985 चुनाव की अनकही कहानी और 2025 के लिए नई रणनीति
बिहार की 2025 विधानसभा चुनाव की तैयारी पूरी हो चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पार्टी एनडीए के अंतर्गत, जनता दल यूनाइटेड (JD (U)) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) बराबर तालमेल से लड़ाई शुरू कर रहे हैं। इस बार नीतीश कुमार ने फिर से अपनी पूरी ताकत झोंकने का दृढ़ संकल्प जताया है। उनकी राजनीतिक यात्रा के पन्नों पर 1985 के चुनाव की एक कम सुनी-सुनी घटना चर्चा में आ रही है।
1985: एक अनकही वादा और 20,000 रुपये की घुसपैठ
नीतीश कुमार ने 1985 के चुनाव में भाग लिया था, जब उनका भविष्य बहुत अनिश्चित था। चुनावी दांव पर था कि वे जीतें या सब कुछ छोड़ दें। इससे पहले उन्होंने अपनी पत्नी मंजू से ₹20,000 उधार लिए थे। यह राशि सिर्फ धन नहीं बल्कि एक वादा की साकिंपय भी थी।
- वादा: हारने पर राजनीति छोड़कर पारंपरिक व्यवसाय में उतरना।
- संकर्षण ठाकुर की पुस्तक में विवरण – नीतीश ने यह वादा अपनी परिवार से किया।
- मंजू ने चुनाव प्रचार के लिये यह राशि उपलब्ध कराई।
ये धन चुनावी प्रचार के लिये बिल्कुल सही था, जिससे वह अपने वादे को पूरा करने के लिए आवश्यक संसाधन जुटा सके।
गुंडों से संघर्ष और चुनावी गड़बड़ियाँ
किताब के मुताबिक, 1985 के चुनाव में नीतीश के साथी गार्ड्स को भी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। कुछ स्थानीय गुंडों को पकड़ कर उन्हें बूथों की रखवाली का काम सौंपा गया था, जो उस दौर की चुनावी परिस्थितियों को उजागर करता है।
वर्तमान चुनाव का समय-निर्धारण
बिहार का बहु-चरणीय चुनाव निम्नलिखित तिथियों पर आयोजित होगा:
- पहला चरण – 6 नवंबर 2025
- दूसरा चरण – 11 नवंबर 2025
- रिज़ल्ट घोषणा – 14 नवंबर 2025
नीतीश कुमार का दर्शन फिर से युवा ऊर्जा और परिपक्व रणनीति के संग है। समय चाहे जितना भी बदल जाए, उनके राजनीतिक करियर की जड़ें अभी भी 1985 की उन गहराईयों में निहित हैं, जिनसे उन्होंने प्रेरणा ले कर भाजपा और JD (U) के गठबंधन के साथ नई जीत का लक्ष्य तय किया है।