लोक सभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने आज विधायकों से आग्रह किया कि वे सत्र के दौरान सदन में अधिक समय बितायें और विभिन्न पक्षों की राय सुनें, जिससे लोगों के मुद्दों को समझने और उनसे निपटने में उनका नजरिया व्यापक होगा।
संसद भवन परिसर में महाराष्ट्र विधानमंडल के नव निर्वाचित सदस्यों के लिए आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए लोक सभा अध्यक्ष ने संसद और विधानमंडलों की कार्यवाही में सदस्यों की कम हो रही भागीदारी व राजनीतिक गतिरोध पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने विधानमंडलों की बैठकों की संख्या में कमी और उत्पादकता में गिरावट पर भी चिंता व्यक्त की।
उन्होंने विधायकों से यह भी कहा कि वे पूरी तैयारी और तथ्यों के साथ सदन में बहस के लिए आएं। श्री बिरला ने कहा कि वे सदन में जितनी अधिक तैयारी के साथ आएंगे, उनकी भागीदारी उतनी ही अधिक प्रभावी होगी तथा सदन की कार्यवाही उतनी ही अधिक उत्पादक होगी। उन्होंने कहा कि सर्वश्रेष्ठ विधायक वही होता है जो सदन की कार्यवाही में पूर्ण सहभाग करता है और समय-समय पर संसदीय कार्यों को समझकर, अच्छे शोध के साथ तर्कपूर्ण चर्चा करता है।
संसदीय समितियों को मिनी पार्लियामेंट बताते हुए श्री बिरला ने कहा कि सभी जनप्रतिनिधियों को समितियों में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए। उन्होंने बल देकर कहा कि विधायकों को पब्लिक अकाउंट और एस्टिमेट कमेटी में विशेष रूप से सुनिश्चित करना चाहिए कि सरकारी धन का व्यय सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन की दिशा में हो ताकि जन प्रतिनिधि जन-कल्याण की दिशा में सकारात्मक परिणाम दे सकें।
प्रबोधन कार्यक्रम के सन्दर्भ में श्री बिरला ने कहा कि इस कार्यक्रम के दौरान उपस्थित सभी विधायकों को संसदीय प्रक्रियाओं, परंपराओं और विभिन्न राज्यों के विधानमंडलों की कार्यविधियों के बारे में गहन जानकारी मिलेगी, जिससे वे अपने संसदीय दायित्वों का बेहतर निर्वहन कर सकेंगे। उन्होंने आगे कहा कि संसदीय कार्यों को समझने और प्रभावी रूप से करने के लिए निरंतर शिक्षा और प्रशिक्षण आवश्यक है। श्री बिरला ने आगे कहा कि इस प्रशिक्षण से सभी जनप्रतिनिधि सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन की दिशा में अपना योगदान दे सकेंगे। श्री बिरला ने आशा व्यक्त की कि सभी जन प्रतिनिधि अपने क्षेत्र के मुद्दों को लेकर सदन में उत्कृष्ट रूप से कार्य करेंगे। श्री बिरला ने जन प्रतिनिधियों का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि उनका कार्य सिर्फ क्षेत्र के मुद्दों तक सीमित नहीं है, बल्कि उन्हें अपने राज्य की समस्याओं और चुनौतियों पर भी ध्यान देना है और एक सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ देश में आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन लाना हैं।
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