ट्रंप ने टिकटॉक का अमेरिकी व्यापार 14 अब्ज डॉलर में बेचने की स्वीकृति दी, राष्ट्रीय सुरक्षा पर सख्त नियंत्रण के साथ
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने आज अमेरिकी प्रेसिडेंट का आदेश जारी किया, जिसके तहत चीनी वीडियो‑शेयरिंग दिग्गज बाइटडांस टिकटॉक के अमेरिकी व्यवसाय को लगभग 14 अब्ज डॉलर में विक्रेता के रूप में UAE‑आधारित निवेशक Group द्वारा खरीदा जा सकता है। इस सौदे के साथ बाइटडांस की अमेरिकी इकाई में हिस्सा 20 प्रतिशत तक घटेगा, और नई कंपनी में अधिकांश शेयर अमेरिकी निवेशकों के पास रहेंगे।
राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए मुख्य सुरक्षा कदम
परिस्थापना में यह सुनिश्चित किया गया है कि टिकटॉक के सिफ़ारिश‑अल्गोरिदम और यूज़र डेटा को विदेशी हस्तक्षेप से सुरक्षित रखा जाए।ओरेकल कॉर्पोरेशन को डेटा को क्लाउड में स्टोर करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है, और उनके विवरण के अनुसार ओरेकल “सिफ़ारिश‑इंजिन” को पूरी तरह नया बनाकर विदेशी प्रभाव से बचाएगा।
डील का कानूनी और समयसीमा ढांचा
यह कदम 2024 के ऐसे कानून के अनुरूप है, जिसने बाइटडांस को टिकटॉक को अमेरिकी खरीदार को बेचने या पूर्ण बैन का सामना करने के लिए मजबूर किया था। ट्रम्प ने ओवल ऑफिस में पत्रकारों से कहा कि वे चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बात कर चुके हैं और उन्हें डील की हरी झंडी मिल गई है।
साइबर सुरक्षा विभाग के अनुसार, इस सौदे को पूरा करने के लिए 120 दिन और समय दिया गया है, जो कि पहली बार डेडलाइन 16 दिसंबर से 17 सितंबर बढ़ाई गई थी।
पोलिस और निवेशक
- पोलिस – ओरेकल क्लाउड
- निवेशक – सिल्वर लेक मैनेजमेंट, अबू धाबी का MGX, और संभवतः अन्य अमेरिकी निवेशक
इन निवेशकों को अभी बोर्ड में सीट मिलनी है और सौदे की वित्तीय शर्तों पर चर्चा जारी है।
चीन की स्थिति और आगे के कदम
चीन के दूतावास ने अभी तक डील को आधिकारिक रूप से स्वीकार नहीं किया है। उन्होंने कहा है कि “अमेरिका को चीनी निवेशकों के लिए खुला, निष्पक्ष एवं भेदभाव‑मुक्त माहौल” बनाना चाहिए।
डील के सफल समापन के बाद टिकटॉक का अमेरिकी व्यवसाय पूरी तरह अमेरिकी कंट्रोल में रहेगा और यूज़र डेटा को अनधिकृत एक्सेस से रोका जायेगा। चीन की मंजूरी मिलते ही ट्रेडिंग के दूसरे चरण पर आगे बढ़ने की उम्मीद है।
निष्कर्ष
यदि ट्रम्प का आदेश और अमेरिकी निवेशक डील की शर्तों को स्वीकार करते हैं, तो टिकटॉक का अमेरिकी व्यापार स्वतंत्र रूप से कार्य करेगा, जिसके तहत डेटा सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा दोनों का संतुलन सुनिश्चित होगा। यह पहल देश‑विदेश की नीति में एक नया अध्याय लिख सकती है।