असदुद्दीन ओवैसी की रैली में उठे समाज-राजनीतिक मुद्दे
बिहार विधानसभा चुनाव के साक्षात प्रारम्भ में, AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने गोपालगंज जिले से अपने चुनावी प्रचार अभियान की शुरुआत की। ओवैसी ने लोकसभा सांसद के रूप में अपनी पहचान सींचते हुए, बिलकुल राजधानी में खड़े होकर, मुस्लिम समुदाय की चुनौतियों पर प्रकाश डाला तथा अपनी पार्टी का संदेश प्रसारित किया।
किसी भी पक्ष को बेवजह अलग-थलग करने के आरोप
ओवैसी ने विशेषत: राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और विपक्षी इंडिया गठबंधन पर वक्त देते हुए, कहा कि बिहार में मुस्लिम मतदाता अक्सर उपेक्षा के शिकार रहते हैं। उनका कहना है कि “17 % मुस्लिम आबादी वाले राज्य में, क्या यह सही है कि मुस्लिम किसी भी पद पर नहीं बैठता?”
उपमुख्यमंत्री दावेदार पर कड़क तंज
- ओवैसी ने बताया कि महागठबंधन ने उपमुख्यमंत्री के लिए ऐसे उम्मीदवार को चुना है जो मात्र “तीन % आबादी” से आता है।
- वहीं उन्होंने विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के प्रमुख मुकेश सहनी को उपमुख्यमंत्री पद के लिए प्रस्तावित करने पर आलोचना की, दावे करते हुए कि “उम्र और न्यूनतम मतदाता आधार से यह निर्णय लिया गया।”
- उनका तर्क यह था कि बिहार में मुस्लिम मुख्य पद पर क्यों न बैठ सकें जबकि वह स्थान फासले पर है।
बोल्ड बयान: भाजपा पर राजकिय जीत का दावा
ओवैसी ने कुशलतापूर्वक भाजपा को “भय के रंग” में डालने की बात कही। उनका कहना है कि “कांग्रेस, आरजेडी और समाजवादी पार्टी आदि, पहले मुस्लिम मतदाता को भाजपा के डर में डालते हैं, फिर उनसे अपने लिए वोट माँगते हैं।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि “बिना किसी दिक्कत के ये पार्टियाँ भाजपा को रोक नहीं पातीं, परंतु मुस्लिम विश्वास जीतने का प्रयास जारी रखते हैं।”
सारांश
गोपालगंज में आयोजित रैली के दौरान असदुद्दीन ओवैसी ने धर्म और राजनीति के तने-बाने पर नई रेखाएँ दालते हुए, बिहार के मुस्लिम मतदाताओं को सशक्त बनाने और समावेशी विकास की माँग उठाई। यह स्पष्ट हुआ कि AIMIM अभी भी अपने चुनावी एजेंडा को मजबूत करने के लिए सक्रिय कदम उठाए हुए है, और अपने समर्थन आधार की अपेक्षाओं को पूरा करने का प्रयास कर रही है।